How the little child's Dhruv had gotten god his childhood's time.
The god always happy those people whose heart always full-fill for love and mercy So the god self praise
their virtue and work.Such as the little child's Dhruv story proved if Any people want to meet the god then
the first need you to making a good heart all other people as like a small baby who has not any hate to any
person.the god not need any thing as you try to give in god temple but you are not try to give your heart.
These Dhruv story learn to all people how can get bless from the god and make a good person in the Earth
where all people follow yow and move life direction on way which towards to god's house Now Many people
change place time to time in the earth and continue searching to find the address of God but they are forget
this universe truth that the god present all places in the Earth and self this present under our body but we
are not see there because we are make mistake to see there.
शुभ मंगल कृष्णमय् शुभप्रभात....
भागवत महापुराण कथा हम वहां तक पढ़ चुके थे.... भगवान की खोज में निकले ध्रुव को मार्ग में नारदजी मिले।
अब आगे की भागवत महापुराण कथा पढ़ेंगे। ...
नारदजी ने ध्रुव को रोका और कहा बालक इस जंगल में कहां जा रहा है।
नारदजी को देखकर ध्रुव कहते हैं कि मैं भगवान को प्राप्त करने जा रहा हूं।
नारदजी हंसे, तू जानता नहीं है भगवान क्या होता है।
बड़ा कठिन है जंगल में तप करना।
ऐसे ही भगवान नहीं मिलते।
नारदजी ध्रुव को डरा रहे हैं।
ध्रुव ने कहा कि देखिए मुझे डराइए नहीं, अगर आप भगवान को प्राप्त करने का कोई रास्ता बता सकते हैं तो अच्छी बात है मुझे भयभीत क्यों कर रहे हैं।
जो भी स्थिति होगी मैं भगवान को प्राप्त करुंगा।
बस मैंने सोच लिया है, मेरा हठ है।
नारदजी बोले वाह, ठीक है क्या चाहता है?
ध्रुव बोले आप मेरे गुरु बन जाओ।
नारदजी को गुरु बना लिया।
नारदजी ने उसे मंत्र दिया ऊं नमो भगवते वासुदेवाय, जा तू इसका जप करना, जितनी देर तू इसका जाप करेगा और अगर सिद्ध हो गया तो परमात्मा तेरे जीवन में उतर आएंगे।
ध्रुव बैठ गए और ध्यान किया।
उन्होंने ''ऊं नमो भगवते वासुदेवाय'' का जप शुरू कर दिया।
छह महीने तक करते रहे।
भगवान सिद्ध हो गए, सिंहासन डोल गया, भगवान को लगा कोई भक्त मुझे याद कर रहा है।
अब मुझे जाना पड़ेगा।
भगवान प्रकट हुए और जैसे ही भगवान प्रकट हुए तो देखाकि ध्रुव तो बस ध्यान लगाए बैठा है।
अपने हाथों से ध्रुव के गाल को स्पर्श किया।
आंख खोली तो भगवान सामने खड़े हुए थे।
ध्रुव ने भगवान को प्रणाम किया, धन्य हो गए।
भगवान ने कहा बोल क्या चाहता है?
बच्चा था ज्यादा बातचीत करना तो आती नहीं थी, पांच साल के बच्चे ने कह दिया बस जो आप दे दो।
भगवान बहुत समझदार हैं उन्होंने कहा ठीक है तू वर्षों तक राज करेगा, तेरी अनेक पीढिय़ां सिद्ध हो जाएंगी।
तेरे पुण्य प्रताप से वे धन्य हो जाएंगे, तेरा राज्य अद्भुत माना जाएगा। तुझे मनोवांछित की पूर्ति होगी जो तू चाहता है वो मिलेगा,
तथास्तु कह कर भगवान चले गए।